10 Class social science Economics Notes in hindi chapter 1 Development अध्याय - 1 विकास
10 Class social science Economics Notes in hindi chapter 1 Development अध्याय - 1 विकास
Download CBSE Revision Notes for CBSE Class 10 Social Science ECO Development ECO The Story of Development: The traditional notion of development; National Income and Per-capita Income. Growth of NI - critical appraisal of existing development indicators (PCI, IMR, SR and other income and health indicators) The need for health and educational development; Human Development Indicators (in simple and brief as a holistic measure of development.
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Class 10th social science Economics chapter 1 Development Notes in Hindi
📚 अध्याय - 1 📚
👉 विकास 👈
✳️ अर्थव्यवस्था :-
🔹 एक ढाँचा जिसके अन्तर्गत लोगों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ।
✳️ आर्थिक विकास :- एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक ' प्रति व्यक्ति आय ' दीर्घ अवधि में बढ़ती है ।
✳️ विकास :-
🔹 विकास के लक्ष्य विभिन्न लोगों के लिये विभिन्न हो सकते हैं। हो सकता है कि कोई बात किसी एक व्यक्ति के लिये विकास हो लेकिन दूसरे के लिये नहीं। उदाहरण के लिये किसी नये हाइवे का निर्माण कई लोगों के लिये विकास हो सकता है। लेकिन जिस किसान की जमीन उस हाइवे निर्माण के लिये छिन गई हो उसके लिये तो वह विकास कतई नहीं हो सकता।
🔹 विभिन्न लोगों के लिये विकास की विभिन्न आवश्यकताएँ हो सकती हैं। किसी भी व्यक्ति की जिंदगी की परिस्थिति इस बात को तय करती है उसके लिये किस प्रकार के विकास की आवश्यकता है। इसे समझने के लिये दो लोगों का उदाहरण लेते हैं।
👉 एक व्यक्ति ऐसे गाँव में रहता है जहाँ से किसी भी जगह के लिये बस पकड़ने के लिये पाँच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यदि उसके गाँव तक पक्की सड़क बन जाये और उसके गाँव तक छोटी गाड़ियाँ भी चलने लगें तो यह उसके लिये विकास होगा।
👉 एक अन्य व्यक्ति दिल्ली राजधानी क्षेत्र की बाहरी सीमा पर रहता है। उसे अपने दफ्तर जाने के लिये पहले तो पैदल एक किलोमीटर चलकर ऑटोरिक्शा स्टैंड तक जाना होता है। उसके बाद ऑटोरिक्शा पर कम से कम एक घंटे की सवारी के बाद वह मेट्रो स्टेशन पहुँचता है। उसके बाद मेट्रो में एक घंटा सफर करने के बाद वह अपने ऑफिस पहुँच पाता है। यदि मेट्रो रेल की लाइन उसके घर के आस पास पहुँच जाये तो यह उस व्यक्ति के लिये विकास होगा।
🔹 ऊपर दिये गये उदाहरण ये बताते हैं कि विकास के अनेक लक्ष्य हो सकते हैं। लेकिन नीति निर्धारकों और सरकार को विकास के ऐसे लक्ष्य बनाने होते हैं जिससे अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुँच सके।
✳️ आय और अन्य लक्ष्य : -
🔹 ज्यादा आय , बराबरी का व्यवहार , स्वतंत्रता , काम की सुरक्षा , सम्मान व आदर , परिवार के लिए सुविधाएँ , वातावरण आदि , राष्ट्रीय विकास की धारणाएँ निम्नलिखित हैं :-
👉 विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार , " 2004 में प्रतिव्यक्ति आय जिन देशो में 453000 रूपये प्रति वर्ष या उससे अधिक है वह समृद्ध या विकसित राष्ट्र कहलाते है ।जिनकी आय 37000 रूपये प्रति वर्ष या उससे कम है वह विकासशील / निम्न आय वाले देश कहलाते हैं ।
👉 यू . एन . डी . पी . द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार , “ राष्ट्रीय विकास का अनुमान लोगों के शैक्षिक स्तर , उनकी स्वास्थय स्थिति तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होता है ।
✳️ विकास के लक्ष्य :-
✳️ प्रति व्यक्ति आय :-
🔹 जब देश की कुल आय को उस देश की जनसंख्या से भाग दिया जाता है तो जो राशि मिलती है उसे हम प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। वर्ष 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 28,000 रुपये है।
✳️ सकल राष्ट्रीय उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय की गणना की जाती है।
✳️ सकल घरेलू उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद जो बचता है उसे सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
✳️ शिशु मृत्यु दर :-
🔹 हर 1000 जन्म में एक साल की उम्र से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैं। यह आँकड़ा जितना कम होगा वह विकास के दृष्टिकोण से उतना ही बेहतर माना जायेगा। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता का पता चलता है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 है। इससे यह पता चलता है कि भारत में आज भी स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
✳️ पुरुष और महिला का अनुपात :-
🔹 प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं। यदि यह आँकड़ा कम होता है तो इससे यह पता चलता है कि उस देश या राज्य में महिलाओं के खिलाफ कितना खराब माहौल है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों की तुलना में केवल 940 महिलाएँ हैं।
✳️ जन्म के समय संभावित आयु :-
🔹 एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी उम्र तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है और महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। इससे देश में व्याप्त जीवन स्तर का पता चलता है। यदि किसी देश में मूलभूत सुविधाएँ बेहतर होंगी, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ होंगी और लोगों की आय अच्छी होती तो वहाँ संभावित आयु भी अधिक होगी। दूसरे शब्दों में वहाँ एक औसत वयस्क लंबी जिंदगी जिएगा।
✳️ साक्षरता दर :- 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात को साक्षरता दर कहते हैं । निवल उपस्थिति [ अनुपात : 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत उपस्थिति अनुपात कहलाता है ।
✳️ राष्ट्रीय आय :-
🔹 देश के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय के जोड को राष्ट्रीय आय कहते है ।
✳️ बी . एम . आई :-
🔹 शरीर का द्रव्यमान सूचकांक पोषण वैज्ञानिक , किसी व्यस्क के अल्पपोषित होने की जाँच कर सकते हैं । यदि यह 18.5 से कम है तो व्यक्ति कुपोषित है अगर 25 से ऊपर है तो वह मोटापे से ग्रस्त हैं ।
✳️ आधारभूत संरचना :-
🔹 आधारभूत संरचना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिये रीढ़ की हड्डी का काम करती है। सड़कें, रेल, विमान पत्तन, पत्तन और विद्युत उत्पादन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जान होते हैं। अच्छी आधारभूत संरचना से आर्थिक गतिविधियाँ बेहतर हो जाती हैं जिससे हर तरफ समृद्धि आती है।
✳️ मानव विकास सूचकांक :-
🔹 आय व अन्य कारकों की समाकेतिक सूची इसके आधार पर किसी देश को उसकी गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है । यह विभिन्न देशों में विकास के स्तर का मूल्यांकन करने का मापदंड है । इसमें देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर , स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होती है ।
✳️ विकास के जरूरी लक्ष्यों का मिश्रण :-
ऊपर दी गई लिस्ट को परिपूर्ण नहीं माना जा सकता है। लेकिन इस लिस्ट में दिये गये लक्ष्य अन्य लक्ष्यों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन लक्ष्यों के द्वारा कई अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
राज्य प्रति व्यक्ति आय (2003) शिशु मृत्यु दर (2003) साक्षरता दर (2001) कक्षा 1 से 4 तक निवल उपस्थिति अनुपात (1995 – 96)
पंजाब 26000 49 70 81
केरल 22800 11 91 91
बिहार 5700 60 47 41
🔹 इस टेबल में दिये गये आँकड़े विकास के कुछ रोचक पहलुओं को दिखाते हैं। ये आँकड़े विकास के अलग अलग पहलुओं के बीच के रिश्ते को दिखाते हैं।
🔹 प्रति व्यक्ति आय के मामले में पंजाब सबसे ऊपर है और बिहार सबसे नीचे।
🔹 शिशु मृत्यु दर के मामले में केरल की तुलना में पंजाब की स्थिति खराब है। इससे यह पता चलता है कि केरल में स्वास्थ्य सुविधाएँ पंजाब से बेहतर हैं।
🔹 केरल और पंजाब में अधिकांश बच्चे स्कूल भी जाते हैं। लेकिन बिहार के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत खराब है।
🔹 इन आँकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इन तीन राज्यों में केरल सबसे विकसित राज्य है और बिहार सबसे पिछड़ा राज्य।
✳️ अर्थव्यवस्था :-
🔹 एक ढाँचा जिसके अन्तर्गत लोगों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ।
✳️ आर्थिक विकास :- एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक ' प्रति व्यक्ति आय ' दीर्घ अवधि में बढ़ती है ।
✳️ विकास :-
🔹 विकास के लक्ष्य विभिन्न लोगों के लिये विभिन्न हो सकते हैं। हो सकता है कि कोई बात किसी एक व्यक्ति के लिये विकास हो लेकिन दूसरे के लिये नहीं। उदाहरण के लिये किसी नये हाइवे का निर्माण कई लोगों के लिये विकास हो सकता है। लेकिन जिस किसान की जमीन उस हाइवे निर्माण के लिये छिन गई हो उसके लिये तो वह विकास कतई नहीं हो सकता।
🔹 विभिन्न लोगों के लिये विकास की विभिन्न आवश्यकताएँ हो सकती हैं। किसी भी व्यक्ति की जिंदगी की परिस्थिति इस बात को तय करती है उसके लिये किस प्रकार के विकास की आवश्यकता है। इसे समझने के लिये दो लोगों का उदाहरण लेते हैं।
👉 एक व्यक्ति ऐसे गाँव में रहता है जहाँ से किसी भी जगह के लिये बस पकड़ने के लिये पाँच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यदि उसके गाँव तक पक्की सड़क बन जाये और उसके गाँव तक छोटी गाड़ियाँ भी चलने लगें तो यह उसके लिये विकास होगा।
👉 एक अन्य व्यक्ति दिल्ली राजधानी क्षेत्र की बाहरी सीमा पर रहता है। उसे अपने दफ्तर जाने के लिये पहले तो पैदल एक किलोमीटर चलकर ऑटोरिक्शा स्टैंड तक जाना होता है। उसके बाद ऑटोरिक्शा पर कम से कम एक घंटे की सवारी के बाद वह मेट्रो स्टेशन पहुँचता है। उसके बाद मेट्रो में एक घंटा सफर करने के बाद वह अपने ऑफिस पहुँच पाता है। यदि मेट्रो रेल की लाइन उसके घर के आस पास पहुँच जाये तो यह उस व्यक्ति के लिये विकास होगा।
🔹 ऊपर दिये गये उदाहरण ये बताते हैं कि विकास के अनेक लक्ष्य हो सकते हैं। लेकिन नीति निर्धारकों और सरकार को विकास के ऐसे लक्ष्य बनाने होते हैं जिससे अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुँच सके।
✳️ आय और अन्य लक्ष्य : -
🔹 ज्यादा आय , बराबरी का व्यवहार , स्वतंत्रता , काम की सुरक्षा , सम्मान व आदर , परिवार के लिए सुविधाएँ , वातावरण आदि , राष्ट्रीय विकास की धारणाएँ निम्नलिखित हैं :-
👉 विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार , " 2004 में प्रतिव्यक्ति आय जिन देशो में 453000 रूपये प्रति वर्ष या उससे अधिक है वह समृद्ध या विकसित राष्ट्र कहलाते है ।जिनकी आय 37000 रूपये प्रति वर्ष या उससे कम है वह विकासशील / निम्न आय वाले देश कहलाते हैं ।
👉 यू . एन . डी . पी . द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार , “ राष्ट्रीय विकास का अनुमान लोगों के शैक्षिक स्तर , उनकी स्वास्थय स्थिति तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होता है ।
✳️ विकास के लक्ष्य :-
✳️ प्रति व्यक्ति आय :-
🔹 जब देश की कुल आय को उस देश की जनसंख्या से भाग दिया जाता है तो जो राशि मिलती है उसे हम प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। वर्ष 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 28,000 रुपये है।
✳️ सकल राष्ट्रीय उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय की गणना की जाती है।
✳️ सकल घरेलू उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद जो बचता है उसे सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
✳️ शिशु मृत्यु दर :-
🔹 हर 1000 जन्म में एक साल की उम्र से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैं। यह आँकड़ा जितना कम होगा वह विकास के दृष्टिकोण से उतना ही बेहतर माना जायेगा। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता का पता चलता है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 है। इससे यह पता चलता है कि भारत में आज भी स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
✳️ पुरुष और महिला का अनुपात :-
🔹 प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं। यदि यह आँकड़ा कम होता है तो इससे यह पता चलता है कि उस देश या राज्य में महिलाओं के खिलाफ कितना खराब माहौल है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों की तुलना में केवल 940 महिलाएँ हैं।
✳️ जन्म के समय संभावित आयु :-
🔹 एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी उम्र तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है और महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। इससे देश में व्याप्त जीवन स्तर का पता चलता है। यदि किसी देश में मूलभूत सुविधाएँ बेहतर होंगी, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ होंगी और लोगों की आय अच्छी होती तो वहाँ संभावित आयु भी अधिक होगी। दूसरे शब्दों में वहाँ एक औसत वयस्क लंबी जिंदगी जिएगा।
✳️ साक्षरता दर :- 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात को साक्षरता दर कहते हैं । निवल उपस्थिति [ अनुपात : 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत उपस्थिति अनुपात कहलाता है ।
✳️ राष्ट्रीय आय :-
🔹 देश के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय के जोड को राष्ट्रीय आय कहते है ।
✳️ बी . एम . आई :-
🔹 शरीर का द्रव्यमान सूचकांक पोषण वैज्ञानिक , किसी व्यस्क के अल्पपोषित होने की जाँच कर सकते हैं । यदि यह 18.5 से कम है तो व्यक्ति कुपोषित है अगर 25 से ऊपर है तो वह मोटापे से ग्रस्त हैं ।
✳️ आधारभूत संरचना :-
🔹 आधारभूत संरचना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिये रीढ़ की हड्डी का काम करती है। सड़कें, रेल, विमान पत्तन, पत्तन और विद्युत उत्पादन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जान होते हैं। अच्छी आधारभूत संरचना से आर्थिक गतिविधियाँ बेहतर हो जाती हैं जिससे हर तरफ समृद्धि आती है।
✳️ मानव विकास सूचकांक :-
🔹 आय व अन्य कारकों की समाकेतिक सूची इसके आधार पर किसी देश को उसकी गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है । यह विभिन्न देशों में विकास के स्तर का मूल्यांकन करने का मापदंड है । इसमें देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर , स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होती है ।
✳️ विकास के जरूरी लक्ष्यों का मिश्रण :-
ऊपर दी गई लिस्ट को परिपूर्ण नहीं माना जा सकता है। लेकिन इस लिस्ट में दिये गये लक्ष्य अन्य लक्ष्यों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन लक्ष्यों के द्वारा कई अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
🔹 इस टेबल में दिये गये आँकड़े विकास के कुछ रोचक पहलुओं को दिखाते हैं। ये आँकड़े विकास के अलग अलग पहलुओं के बीच के रिश्ते को दिखाते हैं।
🔹 प्रति व्यक्ति आय के मामले में पंजाब सबसे ऊपर है और बिहार सबसे नीचे।
🔹 शिशु मृत्यु दर के मामले में केरल की तुलना में पंजाब की स्थिति खराब है। इससे यह पता चलता है कि केरल में स्वास्थ्य सुविधाएँ पंजाब से बेहतर हैं।
🔹 केरल और पंजाब में अधिकांश बच्चे स्कूल भी जाते हैं। लेकिन बिहार के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत खराब है।
🔹 इन आँकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इन तीन राज्यों में केरल सबसे विकसित राज्य है और बिहार सबसे पिछड़ा राज्य।
✳️ विकास के लक्ष्य :-
✳️ प्रति व्यक्ति आय :-
🔹 जब देश की कुल आय को उस देश की जनसंख्या से भाग दिया जाता है तो जो राशि मिलती है उसे हम प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। वर्ष 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 28,000 रुपये है।
✳️ सकल राष्ट्रीय उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय की गणना की जाती है।
✳️ सकल घरेलू उत्पाद :-
🔹 किसी देश में उत्पादित कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद जो बचता है उसे सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
✳️ शिशु मृत्यु दर :-
🔹 हर 1000 जन्म में एक साल की उम्र से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैं। यह आँकड़ा जितना कम होगा वह विकास के दृष्टिकोण से उतना ही बेहतर माना जायेगा। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता का पता चलता है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 है। इससे यह पता चलता है कि भारत में आज भी स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
✳️ पुरुष और महिला का अनुपात :-
🔹 प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं। यदि यह आँकड़ा कम होता है तो इससे यह पता चलता है कि उस देश या राज्य में महिलाओं के खिलाफ कितना खराब माहौल है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों की तुलना में केवल 940 महिलाएँ हैं।
✳️ जन्म के समय संभावित आयु :-
🔹 एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी उम्र तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है और महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। इससे देश में व्याप्त जीवन स्तर का पता चलता है। यदि किसी देश में मूलभूत सुविधाएँ बेहतर होंगी, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ होंगी और लोगों की आय अच्छी होती तो वहाँ संभावित आयु भी अधिक होगी। दूसरे शब्दों में वहाँ एक औसत वयस्क लंबी जिंदगी जिएगा।
✳️ साक्षरता दर :- 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात को साक्षरता दर कहते हैं । निवल उपस्थिति [ अनुपात : 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत उपस्थिति अनुपात कहलाता है ।
✳️ राष्ट्रीय आय :-
🔹 देश के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय के जोड को राष्ट्रीय आय कहते है ।
✳️ बी . एम . आई :-
🔹 शरीर का द्रव्यमान सूचकांक पोषण वैज्ञानिक , किसी व्यस्क के अल्पपोषित होने की जाँच कर सकते हैं । यदि यह 18.5 से कम है तो व्यक्ति कुपोषित है अगर 25 से ऊपर है तो वह मोटापे से ग्रस्त हैं ।
✳️ आधारभूत संरचना :-
🔹 आधारभूत संरचना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिये रीढ़ की हड्डी का काम करती है। सड़कें, रेल, विमान पत्तन, पत्तन और विद्युत उत्पादन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की जान होते हैं। अच्छी आधारभूत संरचना से आर्थिक गतिविधियाँ बेहतर हो जाती हैं जिससे हर तरफ समृद्धि आती है।
✳️ मानव विकास सूचकांक :-
🔹 आय व अन्य कारकों की समाकेतिक सूची इसके आधार पर किसी देश को उसकी गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है । यह विभिन्न देशों में विकास के स्तर का मूल्यांकन करने का मापदंड है । इसमें देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर , स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होती है ।
✳️ विकास के जरूरी लक्ष्यों का मिश्रण :-
ऊपर दी गई लिस्ट को परिपूर्ण नहीं माना जा सकता है। लेकिन इस लिस्ट में दिये गये लक्ष्य अन्य लक्ष्यों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन लक्ष्यों के द्वारा कई अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
राज्य | प्रति व्यक्ति आय (2003) | शिशु मृत्यु दर (2003) | साक्षरता दर (2001) | कक्षा 1 से 4 तक निवल उपस्थिति अनुपात (1995 – 96) |
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पंजाब | 26000 | 49 | 70 | 81 |
केरल | 22800 | 11 | 91 | 91 |
बिहार | 5700 | 60 | 47 | 41 |
🔹 इस टेबल में दिये गये आँकड़े विकास के कुछ रोचक पहलुओं को दिखाते हैं। ये आँकड़े विकास के अलग अलग पहलुओं के बीच के रिश्ते को दिखाते हैं।
🔹 प्रति व्यक्ति आय के मामले में पंजाब सबसे ऊपर है और बिहार सबसे नीचे।
🔹 शिशु मृत्यु दर के मामले में केरल की तुलना में पंजाब की स्थिति खराब है। इससे यह पता चलता है कि केरल में स्वास्थ्य सुविधाएँ पंजाब से बेहतर हैं।
🔹 केरल और पंजाब में अधिकांश बच्चे स्कूल भी जाते हैं। लेकिन बिहार के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत खराब है।
🔹 इन आँकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इन तीन राज्यों में केरल सबसे विकसित राज्य है और बिहार सबसे पिछड़ा राज्य।