10 Class Science Notes in hindi chapter 10 Light Reflection and Refraction अध्याय - 10 प्रकाश - परावर्तन तथा अपवर्तन
CBSE Revision Notes for CBSE Class 10 Science Light Reflection and Refraction Reflection of light by curved surfaces; Images formed by spherical mirrors, centre of curvature, principal axis, principal focus, focal length, mirror formula (Derivation not required), magnification. Refraction; Laws of refraction, refractive index. Refraction of light by spherical lens; Image formed by spherical lenses; Lens formula (Derivation not required); Magnification. Refraction of light through a prism, dispersion of light, scattering of light, applications in daily life.
Class 10th Science chapter 10 Light Reflection and Refraction Notes in Hindi
📚 अध्याय - 10 📚
👉 प्रकाश - परावर्तन तथा अपवर्तन 👈
✳️ प्रकाश : ( light ) :-
🔹 प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है , जिसकी मदद से हम किसी भी वस्तु को देख पाते हैं , प्रकाश कहलाता है ।
✳️ प्रकाश के गुण :-
🔹 प्रकाश सरल ( सीधी ) रेखाओं में गमन करता है ।
🔹 प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है इसलिए इसे संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
🔹 प्रकाश अपारदर्शी वस्तुओं की तीक्ष्ण छाया बनाता है ।
🔹 प्रकाश की चाल निर्वात में सबसे अधिक है : 3 × 10⁸ m / s
✳️ प्रकाश का परावर्तन :- उच्च कोटि की पालिश किया हुआ पृष्ठ — जैसे की दर्पण अपने पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश की परावर्तित कर देता है ।
✳️ प्रकाश के परावर्तन के नियम :-
🔹 ( i ) आपतन कोण , परावर्तन कोण के बराबर होता है ।
🔹 ( ii ) आपतित किरण , दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं ।
✳️ प्रतिबिंब :-
🔹 प्रतिबिंब वहाँ बनता है जिस बिंदु पर कम से दो परावर्तित किरणें प्रतिच्छेदित होती हैं या प्रतिच्छेदित प्रतीत होती हैं ।
✳️ प्रतिबिंब के प्रकार :-
🔹 प्रतिबिम्ब की प्रकृति दो प्रकार का होता है |
👉 वास्तविक प्रतिबिंब
👉 आभासी प्रतिबिंब
✳️ वास्तविक प्रतिबिंब :-
🔹 ( i ) यह तब बनता है जब प्रकाश की किरणें वास्तव में प्रतिच्छेदित होती हैं ।
🔹 ( ii ) इसे परदे पर प्राप्त कर सकते हैं ।
🔹 ( iii ) वास्तविक प्रतिबिंब उल्टा बनता है ।
✳️ आभासी प्रतिबिंब :-
🔹 ( i ) यह तब बनता है जब प्रकाश की किरणें प्रतिच्छेदित होती प्रतीत होती हैं ।
🔹 ( ii ) इसे परदे पर प्राप्त नहीं कर सकते ।
🔹 ( iii ) आभासी प्रतिबिंब सीधा बनता है ।
✳️ समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिंब :-
🔹 आभासी एवं सीधा होता है ।
🔹 प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है ।
🔹 प्रतिबिंब दर्पण के उतने पीछे बनता है जितनी वस्तु की दर्पण से दूरी होती है ।
🔹 प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है ।
✳️ पार्श्व परिवर्तन :-
🔹 इसमें वस्तु का दायां भाग बायां प्रतीत होता है और बायां भाग दायां ।
✳️ गोलीय दर्पण :–
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक तल अंदर की ओर या बाहर की ओर वक्रित होता है ।
✳️ अवतल दर्पण :-
🔹 गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात् गोले के केंद्र की ओर वक्रित है वह अवतल दर्पण कहलाता है ।
✳️ उत्तल दर्पण :-
🔹 गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित है , उत्तल दर्पण कहलाता है ।
✴️ ध्रुव :-
🔹 गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं । यह दर्पण के पृष्ठ पर स्थित होता है । ध्रुव की प्राय : P अक्षर से निरूपिात करते हैं ।
✴️ मुख्य अक्ष :-
🔹 गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता त्रिज्या से गुजरने वाली एक सीधी रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं । मुख्य अक्ष दर्पण के ध्रुव पर अभिलंब हैं ।
✴️ वक्रता केंद्र :-
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है । इस गोले का केंद्र गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता है । यह अक्षर C से निरूपित किया जाता है ।
✴️ वक्रता त्रिज्या :-
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग है , उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है । इसे अक्षर R से निरूपित किया जाता है ।
✴️ द्वारक ( Aperture ) :-
🔹 गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठतल की वृत्ताकार सीमारेखा का व्यास दर्पण का द्वारक ( Aperture ) कहलाता है । इसे MN से दर्शाया जाता है ।
✴️ मुख्य फोकस :-
🔹 मुख्य अक्ष पर वह बिंदु जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर किरणें आकर मिलती हैं या परावर्तित किरणें मुख्य अक्ष पर एक बिंदु से आती हुई महसूस होती हैं वह बिंदु गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है ।
✴️ फोकस दूरी :-
🔹 गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के मध्य की दूरी फोकस दूरी कहलाती है । इसे अक्षर F द्वारा निरूपित करते हैं ।
🔹 छोटे द्वारक के गोलीय दर्पणों के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दुगुनी होती है । हम इस संबंध को R = 2F द्वारा व्यक्त करते हैं ।
✳️ अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब :-
✳️ अवतल दर्पणों के उपयोग :-
🔹 ( 1 ) सामान्यत : टॉर्च , सर्चलाइट तथा वाहनों की हैडलाइट में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
🔹 ( 2 ) दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पणों का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं ।
🔹 ( 3 ) इन्हें प्राय : चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए शेविंग दर्पणों के रूप में उपयोग किया जाता है ।
🔹 ( 4 ) सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है ।
✳️ उत्तल दर्पण :-
👉 1. उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात दर्पण के मुख्य फोकस से अपसरित होती प्रतीत होगी ।
👉 2. उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरने वाला किरण परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर निकलेगी ।
✳️ 3. उत्तल दर्पण के वक्रता केन्द्र की ओर निर्देशित किरण परावर्तन के पश्चात उसी दिशा में वापस परावर्तित हो जाती है ।
✳️ 4. उत्तल दर्पण के बिंदु P की ओर मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण तिर्यक दिशा में ही परावर्तित होती है । आपतित तथा परावर्तित किरणें आपतन बिंदु पर मुख्य अक्ष से समान कोण बनाती है ।
✳️ उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति , स्थिति तथा आपेक्षिक आकार
✳️ किरण आरेख :-
✳️ उत्तल दर्पणों के उपयोग
🔹 1. उत्तल दर्पणों का उपयोग सामान्यत : वाहनों में किया जाता है । इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं । उत्तल दर्पणों को इसलिए प्राथमिकता दी जाती हैं क्योंकि ये सदैव सीधा तथा छोटा प्रतिबिंब बनाते हैं और ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं ।
🔹 2. दुकानों में इनका इस्तेमाल सिक्योरिटी दर्पण के रूप में किया जाता है ।
✳️ गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिन्ह परिपाटी :-
🔹 ( i ) बिंब हमेशा दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है । इसका अर्थ है कि दर्पण पर बिंब से प्रकाश बाईं ओर से आपतित होता है ।
🔹 ( ii ) मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मापी जाती हैं ।
🔹 ( iii ) मूल बिंदु के दाईं ओर ( + x - अक्ष के अनुदिश ) मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं जबकि मूल बिंदु के बाईं ओर ( - x - अक्ष के अनुदिश ) मापी गई दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 ( iv ) मुख्य अक्ष के लंबवत तथा ऊपर की ओर ( + y - अक्ष के अनुदिश ) मापी जाने वाली दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 ( v ) मुख्य अक्ष के लंबवत तथा नीचे की ओर ( - y - अक्ष के अनुदिश ) मापी जाने वाली दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 बिंब की दूरी ( u ) हमेशा ऋणात्मक होती है ।
🔹 अवतल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा ऋणात्मक होती है ।
🔹 उत्तल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा धनात्मक होती है ।
v = प्रतिबिंब की दूरी
u = बिंब की दूरी
f = फोकस दूरी
✳️ आवर्धन :-
🔹 गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न वह आपेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञान होता है कि कोई प्रतिबिंब बिंब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है , इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिंब की ऊँचाई के अनुपात रूप में व्यक्त किया जाता है ।
🔹 यदि ' m ' ऋणात्मक है तो प्रतिबिंब वास्तविक होता है ।
🔹 यदि ' m ' धनात्मक है तो प्रतिबिंब आभासी बनता है ।
🔹 यदि hi = h₀ तो m = 1 - प्रतिबिंब का आकार बिंब के बराबर है ।
🔹 यदि hi > h₀ तो m > 1 - प्रतिबिंब बिंब से बड़ा होता है ।
🔹 यदि hi < h₀ तो m < 1- प्रतिबिंब बिंब से छोटा होता है ।
समतल दर्पण का आवर्धन सदैव +1 होता है ( + ) साइन आभासी प्रतिबिंब दर्शाता है । ( 1 ) दर्शाता है कि प्रतिबिंब का आकार बिंब के आकार के बराबर है ।
🔹 यदि m = + ve और m < 1 तो दर्पण उत्तल है ।
🔹 यदि m = + ve और m > 1 तो दर्पण अवतल है ।
🔹 यदि m = - ve और तो दर्पण अवतल है ।
✳️ प्रकाश : ( light ) :-
🔹 प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है , जिसकी मदद से हम किसी भी वस्तु को देख पाते हैं , प्रकाश कहलाता है ।
✳️ प्रकाश के गुण :-
🔹 प्रकाश सरल ( सीधी ) रेखाओं में गमन करता है ।
🔹 प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है इसलिए इसे संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
🔹 प्रकाश अपारदर्शी वस्तुओं की तीक्ष्ण छाया बनाता है ।
🔹 प्रकाश की चाल निर्वात में सबसे अधिक है : 3 × 10⁸ m / s
✳️ प्रकाश का परावर्तन :- उच्च कोटि की पालिश किया हुआ पृष्ठ — जैसे की दर्पण अपने पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश की परावर्तित कर देता है ।
✳️ प्रकाश के परावर्तन के नियम :-
🔹 ( i ) आपतन कोण , परावर्तन कोण के बराबर होता है ।
🔹 ( ii ) आपतित किरण , दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं ।
✳️ प्रतिबिंब :-
🔹 प्रतिबिंब वहाँ बनता है जिस बिंदु पर कम से दो परावर्तित किरणें प्रतिच्छेदित होती हैं या प्रतिच्छेदित प्रतीत होती हैं ।
✳️ प्रतिबिंब के प्रकार :-
🔹 प्रतिबिम्ब की प्रकृति दो प्रकार का होता है |
👉 वास्तविक प्रतिबिंब
👉 आभासी प्रतिबिंब
✳️ वास्तविक प्रतिबिंब :-
🔹 ( i ) यह तब बनता है जब प्रकाश की किरणें वास्तव में प्रतिच्छेदित होती हैं ।
🔹 ( ii ) इसे परदे पर प्राप्त कर सकते हैं ।
🔹 ( iii ) वास्तविक प्रतिबिंब उल्टा बनता है ।
✳️ आभासी प्रतिबिंब :-
🔹 ( i ) यह तब बनता है जब प्रकाश की किरणें प्रतिच्छेदित होती प्रतीत होती हैं ।
🔹 ( ii ) इसे परदे पर प्राप्त नहीं कर सकते ।
🔹 ( iii ) आभासी प्रतिबिंब सीधा बनता है ।
✳️ समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिंब :-
🔹 आभासी एवं सीधा होता है ।
🔹 प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है ।
🔹 प्रतिबिंब दर्पण के उतने पीछे बनता है जितनी वस्तु की दर्पण से दूरी होती है ।
🔹 प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है ।
✳️ पार्श्व परिवर्तन :-
🔹 इसमें वस्तु का दायां भाग बायां प्रतीत होता है और बायां भाग दायां ।
✳️ गोलीय दर्पण :–
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक तल अंदर की ओर या बाहर की ओर वक्रित होता है ।
✳️ अवतल दर्पण :-
🔹 गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात् गोले के केंद्र की ओर वक्रित है वह अवतल दर्पण कहलाता है ।
✳️ उत्तल दर्पण :-
🔹 गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित है , उत्तल दर्पण कहलाता है ।
🔹 गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित है , उत्तल दर्पण कहलाता है ।
✴️ ध्रुव :-
🔹 गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं । यह दर्पण के पृष्ठ पर स्थित होता है । ध्रुव की प्राय : P अक्षर से निरूपिात करते हैं ।
✴️ मुख्य अक्ष :-
🔹 गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता त्रिज्या से गुजरने वाली एक सीधी रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं । मुख्य अक्ष दर्पण के ध्रुव पर अभिलंब हैं ।
✴️ वक्रता केंद्र :-
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है । इस गोले का केंद्र गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता है । यह अक्षर C से निरूपित किया जाता है ।
✴️ वक्रता त्रिज्या :-
🔹 गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग है , उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है । इसे अक्षर R से निरूपित किया जाता है ।
✴️ द्वारक ( Aperture ) :-
🔹 गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठतल की वृत्ताकार सीमारेखा का व्यास दर्पण का द्वारक ( Aperture ) कहलाता है । इसे MN से दर्शाया जाता है ।
✴️ मुख्य फोकस :-
🔹 मुख्य अक्ष पर वह बिंदु जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर किरणें आकर मिलती हैं या परावर्तित किरणें मुख्य अक्ष पर एक बिंदु से आती हुई महसूस होती हैं वह बिंदु गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है ।
✴️ फोकस दूरी :-
🔹 गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के मध्य की दूरी फोकस दूरी कहलाती है । इसे अक्षर F द्वारा निरूपित करते हैं ।
🔹 छोटे द्वारक के गोलीय दर्पणों के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दुगुनी होती है । हम इस संबंध को R = 2F द्वारा व्यक्त करते हैं ।
✳️ अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब :-
✳️ अवतल दर्पणों के उपयोग :-
🔹 ( 1 ) सामान्यत : टॉर्च , सर्चलाइट तथा वाहनों की हैडलाइट में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
🔹 ( 2 ) दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पणों का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं ।
🔹 ( 3 ) इन्हें प्राय : चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए शेविंग दर्पणों के रूप में उपयोग किया जाता है ।
🔹 ( 4 ) सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है ।
🔹 ( 1 ) सामान्यत : टॉर्च , सर्चलाइट तथा वाहनों की हैडलाइट में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
🔹 ( 2 ) दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पणों का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं ।
🔹 ( 3 ) इन्हें प्राय : चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए शेविंग दर्पणों के रूप में उपयोग किया जाता है ।
🔹 ( 4 ) सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है ।
✳️ उत्तल दर्पण :-
👉 1. उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात दर्पण के मुख्य फोकस से अपसरित होती प्रतीत होगी ।
👉 2. उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरने वाला किरण परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर निकलेगी ।
✳️ 3. उत्तल दर्पण के वक्रता केन्द्र की ओर निर्देशित किरण परावर्तन के पश्चात उसी दिशा में वापस परावर्तित हो जाती है ।
✳️ 4. उत्तल दर्पण के बिंदु P की ओर मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण तिर्यक दिशा में ही परावर्तित होती है । आपतित तथा परावर्तित किरणें आपतन बिंदु पर मुख्य अक्ष से समान कोण बनाती है ।
✳️ उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति , स्थिति तथा आपेक्षिक आकार
✳️ किरण आरेख :-
✳️ उत्तल दर्पणों के उपयोग
🔹 1. उत्तल दर्पणों का उपयोग सामान्यत : वाहनों में किया जाता है । इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं । उत्तल दर्पणों को इसलिए प्राथमिकता दी जाती हैं क्योंकि ये सदैव सीधा तथा छोटा प्रतिबिंब बनाते हैं और ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं ।
🔹 2. दुकानों में इनका इस्तेमाल सिक्योरिटी दर्पण के रूप में किया जाता है ।
✳️ गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिन्ह परिपाटी :-
🔹 ( i ) बिंब हमेशा दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है । इसका अर्थ है कि दर्पण पर बिंब से प्रकाश बाईं ओर से आपतित होता है ।
🔹 ( ii ) मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मापी जाती हैं ।
🔹 ( iii ) मूल बिंदु के दाईं ओर ( + x - अक्ष के अनुदिश ) मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं जबकि मूल बिंदु के बाईं ओर ( - x - अक्ष के अनुदिश ) मापी गई दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 ( iv ) मुख्य अक्ष के लंबवत तथा ऊपर की ओर ( + y - अक्ष के अनुदिश ) मापी जाने वाली दूरियाँ धनात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 ( v ) मुख्य अक्ष के लंबवत तथा नीचे की ओर ( - y - अक्ष के अनुदिश ) मापी जाने वाली दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं ।
🔹 बिंब की दूरी ( u ) हमेशा ऋणात्मक होती है ।
🔹 अवतल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा ऋणात्मक होती है ।
🔹 उत्तल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा धनात्मक होती है ।
🔹 अवतल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा ऋणात्मक होती है ।
🔹 उत्तल दर्पण की फोकस दूरी हमेशा धनात्मक होती है ।
v = प्रतिबिंब की दूरी
u = बिंब की दूरी
f = फोकस दूरी
✳️ आवर्धन :-
🔹 गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न वह आपेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञान होता है कि कोई प्रतिबिंब बिंब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है , इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिंब की ऊँचाई के अनुपात रूप में व्यक्त किया जाता है ।
🔹 यदि ' m ' ऋणात्मक है तो प्रतिबिंब वास्तविक होता है ।
🔹 यदि ' m ' धनात्मक है तो प्रतिबिंब आभासी बनता है ।
🔹 यदि hi = h₀ तो m = 1 - प्रतिबिंब का आकार बिंब के बराबर है ।
🔹 यदि hi > h₀ तो m > 1 - प्रतिबिंब बिंब से बड़ा होता है ।
🔹 यदि hi < h₀ तो m < 1- प्रतिबिंब बिंब से छोटा होता है ।
समतल दर्पण का आवर्धन सदैव +1 होता है ( + ) साइन आभासी प्रतिबिंब दर्शाता है । ( 1 ) दर्शाता है कि प्रतिबिंब का आकार बिंब के आकार के बराबर है ।
🔹 यदि m = + ve और m < 1 तो दर्पण उत्तल है ।
🔹 यदि m = + ve और m > 1 तो दर्पण अवतल है ।
🔹 यदि m = - ve और तो दर्पण अवतल है ।
u = बिंब की दूरी
f = फोकस दूरी
✳️ आवर्धन :-
🔹 गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न वह आपेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञान होता है कि कोई प्रतिबिंब बिंब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है , इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिंब की ऊँचाई के अनुपात रूप में व्यक्त किया जाता है ।
🔹 यदि ' m ' ऋणात्मक है तो प्रतिबिंब वास्तविक होता है ।
🔹 यदि ' m ' धनात्मक है तो प्रतिबिंब आभासी बनता है ।
🔹 यदि hi = h₀ तो m = 1 - प्रतिबिंब का आकार बिंब के बराबर है ।
🔹 यदि hi > h₀ तो m > 1 - प्रतिबिंब बिंब से बड़ा होता है ।
🔹 यदि hi < h₀ तो m < 1- प्रतिबिंब बिंब से छोटा होता है ।
समतल दर्पण का आवर्धन सदैव +1 होता है ( + ) साइन आभासी प्रतिबिंब दर्शाता है । ( 1 ) दर्शाता है कि प्रतिबिंब का आकार बिंब के आकार के बराबर है ।
🔹 यदि m = + ve और m < 1 तो दर्पण उत्तल है ।
🔹 यदि m = + ve और m > 1 तो दर्पण अवतल है ।
🔹 यदि m = - ve और तो दर्पण अवतल है ।