10 Class Science Notes in hindi chapter 3 Metals and Non-metals अध्याय - 3 धातु एवं अधातु
CBSE Revision Notes for CBSE Class 10 Science Metals and Non-metals Metals and non metals: Properties of metals and non-metals; Reactivity series; Formation and properties of ionic compounds; Basic metallurgical processes; Corrosion and its prevention.
Class 10th Science chapter 3 Metals and Non-metals Notes in Hindi
📚 अध्याय - 3 📚
👉 धातु एवं अधातु 👈
👉 तत्व तीन प्रकार के होते हैं - धातु , अधातु एवं उपधातु ।
✳️ धातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने की प्रकृति रखते हैं , धातु कहलाते हैं | जैसे : सोडियम , मैग्नीशियम , कैल्शियम , आयरन इत्यादि । धातु ऊष्मा तथा विधुत के सुचालक होते हैं ।
✳️ अधातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन लेने की प्रकृति रखते हैं , अधातु कहलाते हैं | जैसे : क्लोरीन , ऑक्सीजन , कार्बन इत्यादि ।
✳️ उपधातु :-
🔹वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने या लेने की प्रकृति रखते हैं , उपधातु कहलाते हैं | जैसे : सिलिकॉन ।
✳️ धातुओं के भौतिक गुण : -
( i ) धातु ठोस और चमकीले होते हैं ।
( ii ) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं |
( iii ) धातुएँ तन्य होती हैं ।
( iv ) धातुएँ अघातवर्ध्य होती है ।
( v ) धातुएँ ध्वानिक होती हैं ।
🔹1. धात्विक चमक :- धातु की सतह चमकदार होती है
🔹 2. कठोरता धातुएँ सामान्यत :- कठोर होती हैं । लेकिन लीथियम , सोडियम , पोटैशियम मुलायम होते हैं और इन्हें चाकू से काटा जा सकता है ।
🔹 3. रूप :- धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस रूप में पाई जाती हैं ।
केवल मर्करी ( पारा ) को छोड़कर जो द्रव रूप में पाया जाता है ।
🔹 4. आघातवर्ध्यता :- कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है ।
✳️ 5. तन्यता :- धातुओं को पतली तार के रूप में खींचा जा सकता है ।
✳️ 6. विद्युत व ऊष्मा के चालक :- सामान्यतः धातुएँ विद्युत व ऊष्मा की सुचालक होती हैं । सीसा ( Pb ) एवं मर्करी ( Hg ) कुचालक होते हैं ।
✳️ 7.घनत्व :- सामान्यतः अधिक घनत्व व उच्च गलनांक सोडियम एवं पोटैशियम का घनत्व तथा गलनांक कम होता है ।
✳️ 8. ध्वानिक :- धातुएँ कठोर सतह से टकराने पर आवाज पैदा करती हैं ।
✳️ 9. ऑक्साइड :- अधिकतर धातुएँ क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है जैसे Mgo ( मैग्नीशियम ऑक्साइड )
✳️ अधातुओं के भौतिक गुण : -
🔹 अधातुएँ चमकीली नहीं होती । आयोडीन अधातु होते हुए भी चमकीला होता है ।
🔹 ये अधिकतर कठोर नहीं होते । कार्बन का एक अपरूप हीरा है जो सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है ।
🔹 अधातुएँ ठोस या गैसीय रूप में पाईं जाती हैं । केवल ब्रोमीन को छोड़कर जो तरल रूप में होती है ।
🔹 अधातुएँ आघातवर्ध्य नहीं होती ।
🔹 आधातुएँ तन्य नहीं होती ।
🔹 सामान्यत : अधातुएँ विद्युत व ऊष्मा की कुचालक होती हैं । ग्रेफाइट सुचालक होता है ।
🔹 सामान्यतः अधातुओं का घनत्व व गलनांक कम होते हैं ।
🔹 अधातुएँ ध्वानिक नहीं होती हैं ।
🔹 अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं जैसे SO ,
✳️ धातुओं के रासायनिक गुणधर्म :-
✴️ ( i ) वायु के साथ अभिक्रिया :-
🔹 धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु आक्साइड बनाती हैं ।
धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Cu + 0₂ → 2Cuo
कॉपर ऑक्साइड ( काला )
4Al + 3O₂ → 2Al₂O₃
ऐलुमिनियम ऑक्साइड
2Mg + O₂ → 2MgO
मैग्नीशियम ऑक्साइड
धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अलग - अलग तरह से अभिक्रिया दिखाती हैं ।
🔹 Na और K वायु में आकस्मिक आग पकड़ लेते हैं जिसे रोकने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है ।
🔹 Mg , Al , Zn , Pb वायु के साथ धीरे अभिक्रिया करते हैं । इन धातुओं पर आक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Fe ( आयरन ) वायु में गर्म करने पर प्रज्वलित नहीं होता लेकिन ज्वाला में लौहचूर्ण डालने पर वे तेजी से जलने लगते हैं ।
🔹 Cu भी प्रज्वलित नहीं होता लेकिन उस पर काले रंग के कॉपर ऑक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Ag ( चाँदी ) Au ( सोना ) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ उभयधर्मी ऑक्साइड :-
🔹 वे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षार दोनों से अभिक्रिया करते हैं और लवण और जल उत्पन्न करते हैं ।
🔹 उदाहरण :
Al₂O₃ + 6HCl → 2AlCl₃ , + H₂O
Al₂O₃ + 2NaOH → 2NaAlO₂ + H₂O
सोडियम ऐलुमिनेट
✴️ ( ii ) जल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + जल → धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन
धातु ऑक्साइड + जल → धातु हाइड्रोक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Na + H₂O → 2NaOH + H₂ + 37 ऊष्मा
Ca + H₂O → Ca(OH)₂ + H ₂
Mg + 2H₂O → Mg (OH)₂ + H₂
2Al + 3H₂O → Al₂O₃ + 3H₂
3Fe + 4H₂0 → Fe₃O₄ + 4H₂
✴️ ( iii ) धातुओं की तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + तनु अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस
🔹 उदहारण :-
2Fe + 6HCl → 2FeCl₃ + 3H₂
Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂
Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂
2A1 + 6HCl → 2A1C1₃ + 3H₂
Cu , Ag , Hg तनु अम्लों के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ ( iv ) धातुओं की अन्य धातु लवणों के साथ अभिक्रिया :-
धातु ( क ) + लवण विलयन ( ख ) → लवण विलयन ( क ) + धातु ( ख )
अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातुओं को उनके यौगिक के विलयन से विस्थापित करती हैं । यह धातुओं की सक्रियता श्रेणी पर आधारित है ।
✳️ सक्रियता श्रेणी :-
🔹 वह सूची जिसमें धातुओं को क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है ।
___________________________________
K पोटैशियम
Na सोडियम ⬅️ अत्याधिक क्रियाशील धातुएं
Ca कैल्शियम
___________________________________
___________________________________
Mg मैग्नीशियम
AI एलुमिनियम ⬅️ कम क्रियाशील धातुएं
Zn जिंक
Pb लैड
___________________________________
___________________________________
H हाइड्रोजन
Cu कॉपर
Hg पारा ⬅️ न्यूनतम क्रियाशील धातुएं
Ag चांदी
Au सोना
____________________________________
✴️ ( v ) धातुओं की अधातुओं के साथ अभिक्रिया :-
🔹 तत्वों की अभिक्रियाशीलता संयोजकता कोश को पूर्ण करने की प्रवृत्ति के रूप में समझी जा सकती है ।
धातु के परमाणु अपने संयोजकता कोश से इलेक्ट्रॉन त्याग करते हैं और धनायन बनाते हैं । अधातु के परमाणु संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं ।
🔹 उदाहरण :-
NaCl का निर्माण
✳️ आयनिक यौगिक :-
🔹 विपरीत आवेशित आयन एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा मजबूत स्थिर वैद्युत बल में बंधकर आयनिक यौगिक बनाते हैं ।
✳️ आयनिक यौगिकों के गुणधर्म :-
✴️ ( 1 ) भौतिक प्रकृति : ये ठोस व कुछ कठोर होते हैं । ये सामान्यतः भंगुर होते हैं ।
✴️ ( 2 ) गलनांक एवं क्वथनांक : आयनिक यौगिकों का गलनांक व क्वथनांक बहुत अधिक होता है ।
✴️ ( 3 ) घुलनशीलता : आयनिक यौगिक प्रायः जल में घुलनशील व केरोसीन , पेट्रोल जैसे विलायकों में अविलेय होते हैं ।
✴️ ( 4 ) विद्युत चालकता : आयनिक यौगिक जलीय विलयन में और गलित रूप में विद्युत का चालन करते हैं । ये ठोस रूप में विद्युत का चालन नहीं करते हैं ।
✳️ III . धातुओं की प्राप्ति / धात्विकी :-
✴️ खनिज :- पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों एवं यौगिकों को खनिज कहते हैं ।
✴️ अयस्क :- वे खनिज जिनमें धातु अधिक मात्रा में पाई जाती है और उसे निकालना लाभकारी होता है , उसे अयस्क कहते हैं ।
✳️ गैंग :-
🔹 पृथ्वी से खनित अयस्कों में रेत , मिट्टी आदि जैसी कई अशुद्धियाँ पाई जाती हैं , जिन्हें गैंग ( gangue ) कहा जाता है ।
✳️ भर्जनः-
🔹 सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :
✳️ निस्तापन :-
🔹 कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है ।
✳️ अपचयन :-
🔹 धातु आक्साइड से कार्बन जैसे अपचायक का उपयोग कर धातु प्राप्त की जा सकती है ।
ZnO + C → Zn + CO
✳️ धातुओं का परिष्करण :-
🔹 धातुओं से अपद्रव्य को हटाने के लिए सबसे अधिक उपयोगी विधि विद्युत अपघटनी परिष्करण है ।
ऐनोड पर → अशुद्ध ताँबा
कैथोड पर → शुद्ध ताँबा
विलयन → Cuso₄ + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ( सूक्ष्म मात्रा में )
🔹 विद्युत अपघट्य से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब ऐनोड से अशुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाती है ।
🔹 उतनी ही मात्रा में शुद्ध कॉपर विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है ।
🔹 अविलेय अशुद्धियाँ ऐनोड तली पर निक्षेपित होती है , जिसे ऐनोड पंक कहते हैं ।
✳️ संक्षारण :-
🔹 धातुएँ अपने आसपास अम्ल , आर्द्रता एवं वायु आदि के संपर्क में आने पर संक्षारित हो जाती हैं ।
✴️ ( 1 ) सिल्वर :- वायु में उपस्थित सल्फर के साथ अभिक्रिया कर सिल्वर - सल्फाइड बनाता है जिसके कारण वस्तु काली हो जाती है ।
✴️ ( 2 ) कॉपर :- कॉपर आर्द्र कार्बन डाइआक्साइड के साथ अभिक्रिया करके हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट बनाता है ।
✴️ ( 3 ) लोहा :- आई वायु में लोहे पर भूरे रंग के पदार्थ की परत चढ़ जाती है , जिसे जंग कहते हैं ।
✳️ संक्षारण से सुरक्षा :-
🔹 लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है : पेंट करके , तेल लगाकर , ग्रीज लगाकर , यशदलेपन करके , क्रोमियम लेपन द्वारा , ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर ।
✳️ यशदलेपन :-
🔹 लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उन पर जस्ते ( Zinc ) की पतली परत चढ़ाई जाती है , इसे यशदलेपन प्रक्रम कहते हैं ।
✳️ मिश्र धातु :-
🔹 मिश्र धातु दो या दो से अधिक धातु या धातु और अधातु के समांगी मिश्रण होते हैं ।
🔹 लोहा सूक्ष्म मात्रा में कार्बन के मिश्रण के साथ लोहा कठोर और प्रबल हो जाता है ।
🔹 इस्पात ( Steel ) = लोहा + निकैल और क्रोमियम
🔹 पीतल = कॉपर + जिंक
🔹 कांसा = कॉपर + टिन
🔹 सोलडर = लैड + टिन
🔹 अमलगम = मर्करी ( पारद ) + अन्य तत्व
👉 तत्व तीन प्रकार के होते हैं - धातु , अधातु एवं उपधातु ।
✳️ धातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने की प्रकृति रखते हैं , धातु कहलाते हैं | जैसे : सोडियम , मैग्नीशियम , कैल्शियम , आयरन इत्यादि । धातु ऊष्मा तथा विधुत के सुचालक होते हैं ।
✳️ अधातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन लेने की प्रकृति रखते हैं , अधातु कहलाते हैं | जैसे : क्लोरीन , ऑक्सीजन , कार्बन इत्यादि ।
✳️ उपधातु :-
🔹वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने या लेने की प्रकृति रखते हैं , उपधातु कहलाते हैं | जैसे : सिलिकॉन ।
✳️ धातुओं के भौतिक गुण : -
( i ) धातु ठोस और चमकीले होते हैं ।
( ii ) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं |
( iii ) धातुएँ तन्य होती हैं ।
( iv ) धातुएँ अघातवर्ध्य होती है ।
( v ) धातुएँ ध्वानिक होती हैं ।
🔹1. धात्विक चमक :- धातु की सतह चमकदार होती है
🔹 2. कठोरता धातुएँ सामान्यत :- कठोर होती हैं । लेकिन लीथियम , सोडियम , पोटैशियम मुलायम होते हैं और इन्हें चाकू से काटा जा सकता है ।
🔹 3. रूप :- धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस रूप में पाई जाती हैं ।
केवल मर्करी ( पारा ) को छोड़कर जो द्रव रूप में पाया जाता है ।
🔹 4. आघातवर्ध्यता :- कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है ।
✳️ 5. तन्यता :- धातुओं को पतली तार के रूप में खींचा जा सकता है ।
✳️ 6. विद्युत व ऊष्मा के चालक :- सामान्यतः धातुएँ विद्युत व ऊष्मा की सुचालक होती हैं । सीसा ( Pb ) एवं मर्करी ( Hg ) कुचालक होते हैं ।
✳️ 7.घनत्व :- सामान्यतः अधिक घनत्व व उच्च गलनांक सोडियम एवं पोटैशियम का घनत्व तथा गलनांक कम होता है ।
✳️ 8. ध्वानिक :- धातुएँ कठोर सतह से टकराने पर आवाज पैदा करती हैं ।
✳️ 9. ऑक्साइड :- अधिकतर धातुएँ क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है जैसे Mgo ( मैग्नीशियम ऑक्साइड )
✳️ अधातुओं के भौतिक गुण : -
🔹 अधातुएँ चमकीली नहीं होती । आयोडीन अधातु होते हुए भी चमकीला होता है ।
🔹 ये अधिकतर कठोर नहीं होते । कार्बन का एक अपरूप हीरा है जो सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है ।
🔹 अधातुएँ ठोस या गैसीय रूप में पाईं जाती हैं । केवल ब्रोमीन को छोड़कर जो तरल रूप में होती है ।
🔹 अधातुएँ आघातवर्ध्य नहीं होती ।
🔹 आधातुएँ तन्य नहीं होती ।
🔹 सामान्यत : अधातुएँ विद्युत व ऊष्मा की कुचालक होती हैं । ग्रेफाइट सुचालक होता है ।
🔹 सामान्यतः अधातुओं का घनत्व व गलनांक कम होते हैं ।
🔹 अधातुएँ ध्वानिक नहीं होती हैं ।
🔹 अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं जैसे SO ,
✳️ धातुओं के रासायनिक गुणधर्म :-
✴️ ( i ) वायु के साथ अभिक्रिया :-
🔹 धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु आक्साइड बनाती हैं ।
धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Cu + 0₂ → 2Cuo
कॉपर ऑक्साइड ( काला )
4Al + 3O₂ → 2Al₂O₃
ऐलुमिनियम ऑक्साइड
2Mg + O₂ → 2MgO
मैग्नीशियम ऑक्साइड
धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अलग - अलग तरह से अभिक्रिया दिखाती हैं ।
🔹 Na और K वायु में आकस्मिक आग पकड़ लेते हैं जिसे रोकने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है ।
🔹 Mg , Al , Zn , Pb वायु के साथ धीरे अभिक्रिया करते हैं । इन धातुओं पर आक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Fe ( आयरन ) वायु में गर्म करने पर प्रज्वलित नहीं होता लेकिन ज्वाला में लौहचूर्ण डालने पर वे तेजी से जलने लगते हैं ।
🔹 Cu भी प्रज्वलित नहीं होता लेकिन उस पर काले रंग के कॉपर ऑक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Ag ( चाँदी ) Au ( सोना ) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ उभयधर्मी ऑक्साइड :-
🔹 वे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षार दोनों से अभिक्रिया करते हैं और लवण और जल उत्पन्न करते हैं ।
🔹 उदाहरण :
Al₂O₃ + 6HCl → 2AlCl₃ , + H₂O
Al₂O₃ + 2NaOH → 2NaAlO₂ + H₂O
सोडियम ऐलुमिनेट
✴️ ( ii ) जल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + जल → धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन
धातु ऑक्साइड + जल → धातु हाइड्रोक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Na + H₂O → 2NaOH + H₂ + 37 ऊष्मा
Ca + H₂O → Ca(OH)₂ + H ₂
Mg + 2H₂O → Mg (OH)₂ + H₂
2Al + 3H₂O → Al₂O₃ + 3H₂
3Fe + 4H₂0 → Fe₃O₄ + 4H₂
✴️ ( iii ) धातुओं की तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + तनु अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस
🔹 उदहारण :-
2Fe + 6HCl → 2FeCl₃ + 3H₂
Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂
Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂
2A1 + 6HCl → 2A1C1₃ + 3H₂
Cu , Ag , Hg तनु अम्लों के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ ( iv ) धातुओं की अन्य धातु लवणों के साथ अभिक्रिया :-
धातु ( क ) + लवण विलयन ( ख ) → लवण विलयन ( क ) + धातु ( ख )
अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातुओं को उनके यौगिक के विलयन से विस्थापित करती हैं । यह धातुओं की सक्रियता श्रेणी पर आधारित है ।
✳️ सक्रियता श्रेणी :-
🔹 वह सूची जिसमें धातुओं को क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है ।
___________________________________
K पोटैशियम
Na सोडियम ⬅️ अत्याधिक क्रियाशील धातुएं
Ca कैल्शियम
___________________________________
___________________________________
Mg मैग्नीशियम
AI एलुमिनियम ⬅️ कम क्रियाशील धातुएं
Zn जिंक
Pb लैड
___________________________________
___________________________________
H हाइड्रोजन
Cu कॉपर
Hg पारा ⬅️ न्यूनतम क्रियाशील धातुएं
Ag चांदी
Au सोना
____________________________________
✴️ ( v ) धातुओं की अधातुओं के साथ अभिक्रिया :-
🔹 तत्वों की अभिक्रियाशीलता संयोजकता कोश को पूर्ण करने की प्रवृत्ति के रूप में समझी जा सकती है ।
धातु के परमाणु अपने संयोजकता कोश से इलेक्ट्रॉन त्याग करते हैं और धनायन बनाते हैं । अधातु के परमाणु संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं ।
🔹 उदाहरण :-
NaCl का निर्माण
✳️ आयनिक यौगिक :-
🔹 विपरीत आवेशित आयन एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा मजबूत स्थिर वैद्युत बल में बंधकर आयनिक यौगिक बनाते हैं ।
✳️ आयनिक यौगिकों के गुणधर्म :-
✴️ ( 1 ) भौतिक प्रकृति : ये ठोस व कुछ कठोर होते हैं । ये सामान्यतः भंगुर होते हैं ।
✴️ ( 2 ) गलनांक एवं क्वथनांक : आयनिक यौगिकों का गलनांक व क्वथनांक बहुत अधिक होता है ।
✴️ ( 3 ) घुलनशीलता : आयनिक यौगिक प्रायः जल में घुलनशील व केरोसीन , पेट्रोल जैसे विलायकों में अविलेय होते हैं ।
✴️ ( 4 ) विद्युत चालकता : आयनिक यौगिक जलीय विलयन में और गलित रूप में विद्युत का चालन करते हैं । ये ठोस रूप में विद्युत का चालन नहीं करते हैं ।
✳️ III . धातुओं की प्राप्ति / धात्विकी :-
✴️ खनिज :- पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों एवं यौगिकों को खनिज कहते हैं ।
✴️ अयस्क :- वे खनिज जिनमें धातु अधिक मात्रा में पाई जाती है और उसे निकालना लाभकारी होता है , उसे अयस्क कहते हैं ।
✳️ गैंग :-
🔹 पृथ्वी से खनित अयस्कों में रेत , मिट्टी आदि जैसी कई अशुद्धियाँ पाई जाती हैं , जिन्हें गैंग ( gangue ) कहा जाता है ।
✳️ भर्जनः-
🔹 सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :
✳️ निस्तापन :-
🔹 कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है ।
✳️ अपचयन :-
🔹 धातु आक्साइड से कार्बन जैसे अपचायक का उपयोग कर धातु प्राप्त की जा सकती है ।
ZnO + C → Zn + CO
✳️ धातुओं का परिष्करण :-
🔹 धातुओं से अपद्रव्य को हटाने के लिए सबसे अधिक उपयोगी विधि विद्युत अपघटनी परिष्करण है ।
ऐनोड पर → अशुद्ध ताँबा
कैथोड पर → शुद्ध ताँबा
विलयन → Cuso₄ + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ( सूक्ष्म मात्रा में )
🔹 विद्युत अपघट्य से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब ऐनोड से अशुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाती है ।
🔹 उतनी ही मात्रा में शुद्ध कॉपर विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है ।
🔹 अविलेय अशुद्धियाँ ऐनोड तली पर निक्षेपित होती है , जिसे ऐनोड पंक कहते हैं ।
✳️ संक्षारण :-
🔹 धातुएँ अपने आसपास अम्ल , आर्द्रता एवं वायु आदि के संपर्क में आने पर संक्षारित हो जाती हैं ।
✴️ ( 1 ) सिल्वर :- वायु में उपस्थित सल्फर के साथ अभिक्रिया कर सिल्वर - सल्फाइड बनाता है जिसके कारण वस्तु काली हो जाती है ।
✴️ ( 2 ) कॉपर :- कॉपर आर्द्र कार्बन डाइआक्साइड के साथ अभिक्रिया करके हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट बनाता है ।
✴️ ( 3 ) लोहा :- आई वायु में लोहे पर भूरे रंग के पदार्थ की परत चढ़ जाती है , जिसे जंग कहते हैं ।
✳️ संक्षारण से सुरक्षा :-
🔹 लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है : पेंट करके , तेल लगाकर , ग्रीज लगाकर , यशदलेपन करके , क्रोमियम लेपन द्वारा , ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर ।
✳️ यशदलेपन :-
🔹 लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उन पर जस्ते ( Zinc ) की पतली परत चढ़ाई जाती है , इसे यशदलेपन प्रक्रम कहते हैं ।
✳️ मिश्र धातु :-
🔹 मिश्र धातु दो या दो से अधिक धातु या धातु और अधातु के समांगी मिश्रण होते हैं ।
🔹 लोहा सूक्ष्म मात्रा में कार्बन के मिश्रण के साथ लोहा कठोर और प्रबल हो जाता है ।
🔹 इस्पात ( Steel ) = लोहा + निकैल और क्रोमियम
🔹 पीतल = कॉपर + जिंक
🔹 कांसा = कॉपर + टिन
🔹 सोलडर = लैड + टिन
🔹 अमलगम = मर्करी ( पारद ) + अन्य तत्व
✳️ धातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने की प्रकृति रखते हैं , धातु कहलाते हैं | जैसे : सोडियम , मैग्नीशियम , कैल्शियम , आयरन इत्यादि । धातु ऊष्मा तथा विधुत के सुचालक होते हैं ।
✳️ अधातु :-
🔹 वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन लेने की प्रकृति रखते हैं , अधातु कहलाते हैं | जैसे : क्लोरीन , ऑक्सीजन , कार्बन इत्यादि ।
✳️ उपधातु :-
🔹वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन देने या लेने की प्रकृति रखते हैं , उपधातु कहलाते हैं | जैसे : सिलिकॉन ।
✳️ धातुओं के भौतिक गुण : -
( i ) धातु ठोस और चमकीले होते हैं ।
( ii ) ये ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं |
( iii ) धातुएँ तन्य होती हैं ।
( iv ) धातुएँ अघातवर्ध्य होती है ।
( v ) धातुएँ ध्वानिक होती हैं ।
🔹1. धात्विक चमक :- धातु की सतह चमकदार होती है
🔹 2. कठोरता धातुएँ सामान्यत :- कठोर होती हैं । लेकिन लीथियम , सोडियम , पोटैशियम मुलायम होते हैं और इन्हें चाकू से काटा जा सकता है ।
🔹 3. रूप :- धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस रूप में पाई जाती हैं ।
केवल मर्करी ( पारा ) को छोड़कर जो द्रव रूप में पाया जाता है ।
🔹 4. आघातवर्ध्यता :- कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है ।
✳️ 5. तन्यता :- धातुओं को पतली तार के रूप में खींचा जा सकता है ।
✳️ 6. विद्युत व ऊष्मा के चालक :- सामान्यतः धातुएँ विद्युत व ऊष्मा की सुचालक होती हैं । सीसा ( Pb ) एवं मर्करी ( Hg ) कुचालक होते हैं ।
✳️ 7.घनत्व :- सामान्यतः अधिक घनत्व व उच्च गलनांक सोडियम एवं पोटैशियम का घनत्व तथा गलनांक कम होता है ।
✳️ 8. ध्वानिक :- धातुएँ कठोर सतह से टकराने पर आवाज पैदा करती हैं ।
✳️ 9. ऑक्साइड :- अधिकतर धातुएँ क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है जैसे Mgo ( मैग्नीशियम ऑक्साइड )
✳️ अधातुओं के भौतिक गुण : -
🔹 अधातुएँ चमकीली नहीं होती । आयोडीन अधातु होते हुए भी चमकीला होता है ।
🔹 ये अधिकतर कठोर नहीं होते । कार्बन का एक अपरूप हीरा है जो सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है ।
🔹 अधातुएँ ठोस या गैसीय रूप में पाईं जाती हैं । केवल ब्रोमीन को छोड़कर जो तरल रूप में होती है ।
🔹 अधातुएँ आघातवर्ध्य नहीं होती ।
🔹 आधातुएँ तन्य नहीं होती ।
🔹 सामान्यत : अधातुएँ विद्युत व ऊष्मा की कुचालक होती हैं । ग्रेफाइट सुचालक होता है ।
🔹 सामान्यतः अधातुओं का घनत्व व गलनांक कम होते हैं ।
🔹 अधातुएँ ध्वानिक नहीं होती हैं ।
🔹 अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं जैसे SO ,
✳️ धातुओं के रासायनिक गुणधर्म :-
✴️ ( i ) वायु के साथ अभिक्रिया :-
🔹 धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु आक्साइड बनाती हैं ।
धातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Cu + 0₂ → 2Cuo
कॉपर ऑक्साइड ( काला )
4Al + 3O₂ → 2Al₂O₃
ऐलुमिनियम ऑक्साइड
2Mg + O₂ → 2MgO
मैग्नीशियम ऑक्साइड
धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अलग - अलग तरह से अभिक्रिया दिखाती हैं ।
🔹 Na और K वायु में आकस्मिक आग पकड़ लेते हैं जिसे रोकने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है ।
🔹 Mg , Al , Zn , Pb वायु के साथ धीरे अभिक्रिया करते हैं । इन धातुओं पर आक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Fe ( आयरन ) वायु में गर्म करने पर प्रज्वलित नहीं होता लेकिन ज्वाला में लौहचूर्ण डालने पर वे तेजी से जलने लगते हैं ।
🔹 Cu भी प्रज्वलित नहीं होता लेकिन उस पर काले रंग के कॉपर ऑक्साइड की परत चढ़ जाती है ।
🔹 Ag ( चाँदी ) Au ( सोना ) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ उभयधर्मी ऑक्साइड :-
🔹 वे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षार दोनों से अभिक्रिया करते हैं और लवण और जल उत्पन्न करते हैं ।
🔹 उदाहरण :
Al₂O₃ + 6HCl → 2AlCl₃ , + H₂O
Al₂O₃ + 2NaOH → 2NaAlO₂ + H₂O
सोडियम ऐलुमिनेट
✴️ ( ii ) जल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + जल → धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन
धातु ऑक्साइड + जल → धातु हाइड्रोक्साइड
🔹 उदाहरण :-
2Na + H₂O → 2NaOH + H₂ + 37 ऊष्मा
Ca + H₂O → Ca(OH)₂ + H ₂
Mg + 2H₂O → Mg (OH)₂ + H₂
2Al + 3H₂O → Al₂O₃ + 3H₂
3Fe + 4H₂0 → Fe₃O₄ + 4H₂
✴️ ( iii ) धातुओं की तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया :-
धातु + तनु अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस
🔹 उदहारण :-
2Fe + 6HCl → 2FeCl₃ + 3H₂
Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂
Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂
2A1 + 6HCl → 2A1C1₃ + 3H₂
Cu , Ag , Hg तनु अम्लों के साथ अभिक्रिया नहीं करते ।
✴️ ( iv ) धातुओं की अन्य धातु लवणों के साथ अभिक्रिया :-
धातु ( क ) + लवण विलयन ( ख ) → लवण विलयन ( क ) + धातु ( ख )
अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातुओं को उनके यौगिक के विलयन से विस्थापित करती हैं । यह धातुओं की सक्रियता श्रेणी पर आधारित है ।
✳️ सक्रियता श्रेणी :-
🔹 वह सूची जिसमें धातुओं को क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है ।
___________________________________
K पोटैशियम
Na सोडियम ⬅️ अत्याधिक क्रियाशील धातुएं
Ca कैल्शियम
___________________________________
___________________________________
Mg मैग्नीशियम
AI एलुमिनियम ⬅️ कम क्रियाशील धातुएं
Zn जिंक
Pb लैड
___________________________________
___________________________________
H हाइड्रोजन
Cu कॉपर
Hg पारा ⬅️ न्यूनतम क्रियाशील धातुएं
Ag चांदी
Au सोना
____________________________________
✴️ ( v ) धातुओं की अधातुओं के साथ अभिक्रिया :-
🔹 तत्वों की अभिक्रियाशीलता संयोजकता कोश को पूर्ण करने की प्रवृत्ति के रूप में समझी जा सकती है ।
धातु के परमाणु अपने संयोजकता कोश से इलेक्ट्रॉन त्याग करते हैं और धनायन बनाते हैं । अधातु के परमाणु संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं ।
🔹 उदाहरण :-
NaCl का निर्माण
✳️ आयनिक यौगिक :-
🔹 विपरीत आवेशित आयन एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा मजबूत स्थिर वैद्युत बल में बंधकर आयनिक यौगिक बनाते हैं ।
✳️ आयनिक यौगिकों के गुणधर्म :-
✴️ ( 1 ) भौतिक प्रकृति : ये ठोस व कुछ कठोर होते हैं । ये सामान्यतः भंगुर होते हैं ।
✴️ ( 2 ) गलनांक एवं क्वथनांक : आयनिक यौगिकों का गलनांक व क्वथनांक बहुत अधिक होता है ।
✴️ ( 3 ) घुलनशीलता : आयनिक यौगिक प्रायः जल में घुलनशील व केरोसीन , पेट्रोल जैसे विलायकों में अविलेय होते हैं ।
✴️ ( 4 ) विद्युत चालकता : आयनिक यौगिक जलीय विलयन में और गलित रूप में विद्युत का चालन करते हैं । ये ठोस रूप में विद्युत का चालन नहीं करते हैं ।
✳️ III . धातुओं की प्राप्ति / धात्विकी :-
✴️ खनिज :- पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों एवं यौगिकों को खनिज कहते हैं ।
✴️ अयस्क :- वे खनिज जिनमें धातु अधिक मात्रा में पाई जाती है और उसे निकालना लाभकारी होता है , उसे अयस्क कहते हैं ।
✳️ गैंग :-
🔹 पृथ्वी से खनित अयस्कों में रेत , मिट्टी आदि जैसी कई अशुद्धियाँ पाई जाती हैं , जिन्हें गैंग ( gangue ) कहा जाता है ।
✳️ भर्जनः-
🔹 सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :
✳️ निस्तापन :-
🔹 कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में बदल जाता है । इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है ।
✳️ अपचयन :-
🔹 धातु आक्साइड से कार्बन जैसे अपचायक का उपयोग कर धातु प्राप्त की जा सकती है ।
ZnO + C → Zn + CO
✳️ धातुओं का परिष्करण :-
🔹 धातुओं से अपद्रव्य को हटाने के लिए सबसे अधिक उपयोगी विधि विद्युत अपघटनी परिष्करण है ।
ऐनोड पर → अशुद्ध ताँबा
कैथोड पर → शुद्ध ताँबा
विलयन → Cuso₄ + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ( सूक्ष्म मात्रा में )
🔹 विद्युत अपघट्य से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब ऐनोड से अशुद्ध धातु विद्युत अपघट्य में घुल जाती है ।
🔹 उतनी ही मात्रा में शुद्ध कॉपर विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है ।
🔹 अविलेय अशुद्धियाँ ऐनोड तली पर निक्षेपित होती है , जिसे ऐनोड पंक कहते हैं ।
✳️ संक्षारण :-
🔹 धातुएँ अपने आसपास अम्ल , आर्द्रता एवं वायु आदि के संपर्क में आने पर संक्षारित हो जाती हैं ।
✴️ ( 1 ) सिल्वर :- वायु में उपस्थित सल्फर के साथ अभिक्रिया कर सिल्वर - सल्फाइड बनाता है जिसके कारण वस्तु काली हो जाती है ।
✴️ ( 2 ) कॉपर :- कॉपर आर्द्र कार्बन डाइआक्साइड के साथ अभिक्रिया करके हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट बनाता है ।
✴️ ( 3 ) लोहा :- आई वायु में लोहे पर भूरे रंग के पदार्थ की परत चढ़ जाती है , जिसे जंग कहते हैं ।
✳️ संक्षारण से सुरक्षा :-
🔹 लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है : पेंट करके , तेल लगाकर , ग्रीज लगाकर , यशदलेपन करके , क्रोमियम लेपन द्वारा , ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर ।
✳️ यशदलेपन :-
🔹 लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उन पर जस्ते ( Zinc ) की पतली परत चढ़ाई जाती है , इसे यशदलेपन प्रक्रम कहते हैं ।
✳️ मिश्र धातु :-
🔹 मिश्र धातु दो या दो से अधिक धातु या धातु और अधातु के समांगी मिश्रण होते हैं ।
🔹 लोहा सूक्ष्म मात्रा में कार्बन के मिश्रण के साथ लोहा कठोर और प्रबल हो जाता है ।
🔹 इस्पात ( Steel ) = लोहा + निकैल और क्रोमियम
🔹 पीतल = कॉपर + जिंक
🔹 कांसा = कॉपर + टिन
🔹 सोलडर = लैड + टिन
🔹 अमलगम = मर्करी ( पारद ) + अन्य तत्व