🏵️पाठ = 1🏵️
CONSTITUTION:
WHY AND HOW?
1.संविधान क्यों और कैसे,संविधान का राजनीतिक दर्शन।🍀महत्वपूर्ण हिंदी notes🍀 part = 2
constitution india
संविधान का राजनीतिक दर्शन :-
✳️संविधान के दर्शन से अभिप्राय संविधान की बुनियादी अवधारणाओं से है । जैसे अधिकार , नागरिकता , लोकतंत्र आदि ।
✳️संविधान में निहित आदर्श जैसे समानता , स्वतंत्रता हमें संविधान के दर्शन करवाते हैं ।
✳️हमारा संविधान इस बात पर जोर देता है कि उसके दर्शन पर शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से अमल किया जाए तथा उन मूल्यों को जिन पर नीतियां बनी हैं , इन नैतिक बुनियादी अवधारणाओं पर चल कर उद्देश्य प्राप्त करें ।
संविधान का मुख्य सार - संविधान की प्रस्तावना प्रस्तावना हमारे संविधान की आत्मा है
✳️जवाहर लाल नेहरू के अनुसार - " भारतीय संविधान का निर्माण परंपरागत सामाजिक ऊँच नीच के बंधनों को तोड़ने और स्वतंत्रता , समानता तथा न्याय के नए युग में प्रवेश के लिए हुआ । यह कमजोर लोगों को उनका वाजिब हक सामुदायिक रूप में हासिल करने की ताकत देता है ।
" संविधान की कुछ विशेषताओं का वर्णन : -
स्वतंत्रता - संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 में स्वतंत्रता से संबधित प्रावधान इसके अंतर्गत भारत के सभी नागरिकों को विचार - विमर्श अभिव्यक्ति , सभा व सम्मेलन करने की स्वतंत्रता है ।
सामाजिक न्याय - भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त हो । उदाहरण - अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान ।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान - अल्पसंख्यक समुदायों को धार्मिक और परोपकारी कार्यक्रमों के लिए संस्थाएं स्थापित करना और अपनी इच्छानुसार शैक्षिक संस्थाओं को स्थापित करने का भी अधिकार है ।
धर्म - निरपेक्षता - धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है ' सर्वधर्म समभाव ' धर्म से दूरी बनाए रखना है । हमारा संविधान धर्म के आधार पर भेद नहीं करता । राज्य धर्म में और धर्म राज्य में हस्तक्षेप नहीं करता परंतु धर्म के नाम पर किसी व्यक्ति के आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाने पर राज्य हस्तक्षेप करता है । राज्य किसी धार्मिक शिक्षा संस्था को आर्थिक सहायता भी दे सकता है ।
सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार – देश के सभी वयस्क नागरिकों ( 18 वर्ष ) को अपने प्रतिनिधियों की चयन प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार है । यह अधिकार बिना जाति लिंग भेदभाव के सभी नागरिकों को प्राप्त है ।
संघवाद - भारतीय संविधान में शक्तियों का विकेन्द्रीकरण है । इसमें दो सरकारों की बात की गई है
a ) एक केन्द्रीय सरकार - संपूर्ण राष्ट्र के लिए
b ) दूसरी राज्य सरकार - प्रत्येक राज्य के लिए अपनी सरकार दो सरकारो के बाद भी अधिक शक्तियों केन्द्र सरकार के पास हैं । राज्यों की जिम्मेदारियों अधिक है ।
प्रक्रियागत उपलिब्धः -
✳️ संविधान का विश्वास राजनीतिक विचार विमर्श से है । संविधान सभा असहमति को भी सकारात्मक रूप से देखती है ।
✳️ संविधान सभा किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला बहुमत से नहीं , सबकी अनुमति से लेना चाहते थी । वे समझौतों को महत्व देते थे । ( शिक्षक कक्षा में बहुमत व सर्वे अनुमति को स्पष्ट करेंगे । ) संविधान सभा जिन बातों पर अडिग रही वही हमारे संविधान को विशेष बनाती है ।
संविधान की आलोचना के बिंदुः -
✳️बहुत लंबा तथा विस्तृत - 448 अनुच्छेद , 25 भाग 12 अनुसूचियाँ ।
✳️पश्चिमी देशों के संविधानों से इसके प्रावधान लिए गए हैं ।
✳️संविधान के निर्माण में सभी समूहों के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे ।
संविधान में दिखने वाली मुख्य सीमाएँ :
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